वन्दना

IIश्री हनुमान चालीसाII My Files Download Here श्री बालाजी, मेहंदीपुर, राजस्थान Photo  Photo आरती Online Calculator Openline Communication My Photos Poem Blank Ad Rates



Custom Search
If you can not read Hindi text below properly
please click to Mangal 
and Download Mangal Font.
------------------------------------------------------------
श्री मेहंदीपुर बालाजी की आरती
~~~
ॐ जय हनुमत वीरा, स्वामी जय हनुमत वीरा ।
संकट मोचन स्वामी, तुम हो रणधीरा ॥
ॐ जय हनुमत वीरा..
पवन-पुत्र अंजनी-सुत, महिमा अति भारी ।
दुःख दारिद्रय मिटाओ, संकट भय हारी ॥
ॐ जय हनुमत वीरा..
बाल समय में तुमने, रवि को भक्ष लियो ।
देवन स्तुति कीन्हीं, तुरतहिं छोड़ दियो ॥
ॐ जय हनुमत वीरा..
कपि सुग्रीव राम संग, मैत्री करवाई ।
अभिमानी बलि मेट्यो, कीर्ति रही छाई ॥
ॐ जय हनुमत वीरा..
जारि लंक सिय-सुधि ले आए, वानर हर्षाए ।
कारज कठिन सुधारे, रघुबर मन भाए ॥
ॐ जय हनुमत वीरा..
शक्ति लगी लक्ष्मण को, भारी सोच भयो ।
लाय संजीवन बूटी, दुःख सब दूर कियो ॥
ॐ जय हनुमत वीरा..
रामहिं ले अहिरावण, जब पाताल गयो ।
ताही मारि प्रभु लाये, जय जयकार भयो॥
ॐ जय हनुमत वीरा..
राजत मेहंदीपुर में, दर्शन सुखकारी ।
मंगल और शनिश्चर, मेला है जारी ॥
ॐ जय हनुमत वीरा..
श्री बालाजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत इंद्र हर्षित मन, वांछित फल पावे ॥
ॐ जय हनुमत वीरा..
श्री भैरव चालीसा
~~~

॥दोहा॥

गणपति गुरु गौरी पद, प्रेम सहित धरि माथ।
चालीसा वन्दन करौं, श्री सिव भैरवनाथ॥
श्री भैरव संकट हरण, मंगल करण कृपाल।
स्याम वरण विकराल वपु, लोचन लाल विसाल॥

जय जय श्री काली के लाला, जयति जयति कासी कुतवाला ॥
जयति बटुक भैरव भय हारी, जयति काल भैरव बलकारी ॥
जयति नाथ भैरव विख्याता, जयति सर्व भैरव सुखदाता ॥
भैरव रूप कियो सिव धारण, भव के भार उतारण कारण ॥
भैरव रव सुनि ह्वै भय दूरी, सब विधि होय कामना पूरी ॥
सेष महेस आदि गुण गायो, कासी के कुतवाल कहायो ॥
जटा जूट सिर चन्द्र विराजत, बाला मुकुट बिजायठ साजत ॥
कटि करधनि घूंघरू बाजत, दर्सन करत सकल भय भाजत ॥
जीवनदान दास को दिन्ह्यो, किन्ह्यो कृपा नाथ तब चिन्ह्यो ॥
वसि रसना बनि सारद काली, दिन्ह्यो वर राख्यो मम लाली ॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन, जय मन रंजन खल दल भंजन ॥
कर त्रिसूल डमरू सुचि कोड़ा, कृपा कटाक्ष सुयस नहिं थोड़ा ॥
जो भैरव निर्भय गुन गावत, अष्टसिद्धि नवनिधि फल पावत ॥
रूप बिसाल कठिन दुख मोचन, क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन ॥
अगनित भूत प्रेत संग डोलत, बं बं बं सिव बं बं बोलत ॥
रूद्रकाय काली के लाला, महा कालहू के हो काला ॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरा, स्वेत रक्त अरु स्याम सरीरा ॥
करत तीनहूं रूप प्रकासा, भरत सुभक्तन कहं सुभ आसा ॥
रत्न जड़ित कंचन सिंहासन, व्याघ्र चर्म सुचि नर्म सुआसन ॥
तुमहि जाइ कासिहिं जन ध्यावहिं, विस्वनाथ कहं दर्सन पावहिं ॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय, जय उन्नत हर उमानन्द जय ॥
भीम त्रिलोचन स्वान नाथ जय, बैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥
महाभीम भीसन सरीर जय, रूद्र त्र्यम्बक धीर वीर जय ॥
अस्वनाथ जय प्रेतनाथ जय, स्वानारूढ़ श्रीचन्द्रनाथ जय ॥
निमिष दिगम्बर चक्रनाथ जय, गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥
त्रेसलेस भूतेस चन्द्र जय, क्रोध वत्स अमरेस नन्द जय ॥
श्री वामन नकुलेस चण्ड जय, कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ॥
रूद्र बटुक क्रोधेस कालधर, चक्रतुण्ड दस पाणि व्यालधर ॥
करि मद पान सम्भु गुण गावत, चौंसठ योगिन संग नचावत ॥
करत कृपा जन पर बहु ढंगा, कासी कोतवाल अड़बंगा ॥
देय काल भैरव जब सोटा, नसै पाप मोटा से मोटा ॥
जन कर निर्मल होय सरीरा, मिटै सकल संकट भव पीरा ॥
श्री भैरव भूतों के राजा, बाधा हरत करत सुभ काजा ॥
ऐलादी के दु:ख निवार्यो, सदा कृपा करि काज सम्हार्यो ॥
सुन्दरदास सहित अनुरागा, श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥
'श्री भैरव जी की जय' लेख्यो, सकल कामना पूरण देख्यो ॥
॥दोहा॥

जय जय जय भैरव बटुक, स्वामी संकट टार ।
कृपा दास पर कीजिए, संकर के अवतार ॥
जो यह चालीसा पढ़े, प्रेम सहित सत वार ।
उस घर सर्वानन्द हो, वैभव बढ़े अपार ॥
***
श्रीसालासर हनुमान जी की आरती
~~~
जयति जय जय बजरंग बाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
चैत सुदी पूनम को जन्मे, अंजनी पवन खुशी मन में ।
प्रकट भए सुर वानर तन में, विदित यश विक्रम त्रिभुवन में ।
दूध पीवत स्तन मात के, नजर गई नभ ओर ।
तब जननी की गोद से पहुंच, उदयाचल पर भोर ।
अरुण फल लखि रवि मुख डाला ॥ कृपा कर…
तिमिर भूमण्डल में छाई, चिबुक पर इंद्र वज्र बाए ।
तभी से हनुमत कहलाए, द्वय हनुमान नाम पाए ।
उस अवसर में रुक गयो, पवन सर्व उन्चास ।
इधर हो गयो अंधकार, उत रुक्यो विश्व को श्वास ।
भए ब्रह्मादिक बेहाला ।। कृपा कर…
देव सब आए तुम्हारे आगे, सकल मिल विनय करन लागे ।
पवन कू भी लाए सांगे, क्रोध सब पवन तना भागे ।
सभी देवता वर दियो, अरज करी कर जोड़ ।
सुनके सबकी अरज गरज, लखि दिया रवि को छोड़ ।
हो गया जग में उजियाला ॥ कृपा कर…
रहे सुग्रीव पास जाई, आ गए वन में रघुराई ।
हरी रावण सीतामाई, विकल फिरते दोनों भाई ।
विप्र रूप धरि राम को, कहा आप सब हाल ।
कपि पति से करवाई मित्रता, मार दिया कपि बाल ।
दुःख सुग्रीव तना टाला ॥ कृपा कर…
आज्ञा ले रघुपति की धाया, लंक में सिंधु लांघ आया ।
हाल सीता का लख पाया, मुद्रिका दे वनफल खाया ।
वन विध्वंस दशकंध सुत, वध कर लंक जलाय ।
चूड़ामणि संदेश सिया का, दिया राम को आय ।
हुए खुश त्रिभुवन भूपाला ॥ कृपा कर…
जोड़ी कपि दल रघुवर चाला, कटक हित सिंधु बांध डाला ।
युद्ध रच दीन्हा विकराला, कियो राक्षसकुल पैमाला ।
लक्ष्मण को शक्ति लगी, लायौ गिरी उठाय ।
देइ संजीवन लखन जियाए, रघुबर हर्ष सवाय ।
गरब सब रावन का गाला ॥ कृपा कर…
रची अहिरावन ने माया, सोवते राम लखन लाया।
बने वहां देवी की काया, करने को अपना चित चाया ।
अहिरावन रावन हत्यौ, फेर हाथ को हाथ ।
मंत्र विभीषण पाय आप को, हो गयो लंका नाथ ।
खुल गया करमा का ताला ॥ कृपा कर…
अयोध्या राम राज्य कीना, आपको दास बना दीना ।
अतुल बल घृत सिंदूर दीना, लसत तन रूप रंग भीना ।
चिरंजीव प्रभु ने कियो, जग में दियो पुजाय ।
जो कोई निश्चय कर के ध्यावे, ताकी करो सहाय ।
कष्ट सब भक्तन का टाला ॥ कृपा कर…
भक्तजन चरण कमल सेवे, जात आत सालासर देवे ।
ध्वजा नारियल भोग देवे, मनोरथ सिद्धि कर लेवे ।
कारज सारों भक्त के, सदा करो कल्याण ।
विप्र निवासी लक्ष्मणगढ़ के, बालकृष्ण धर ध्यान ।
नाम की जपे सदा माला ॥ कृपा कर…
***